वो दुआ क्यूँ मांगे खुसी के लिए !
तेरा गम जिसे मिल जाये जिंदगी के लिए !
सबसे मिलते रहे गले मुहब्बत से मगर ;
इतनी नफ़रत कुयन रही हामी के लिए !
ऐ चाँद तू अब अपनी चांदनी सिमट ले;
हमने दिल जला रखा है रोशनी के लिए !
आसमान में जाकर वो फ़रिश्ते तो हो गए :
हम ही रह गए भला क्यूँ इस जमीं के कुए !
किसी को बसा कर फिर उजाड़ देना ;
'प्रसाद' कितना आसन है आदमी के लिए !
मथुरा प्रसाद वर्मा 'प्रसाद'
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