Thursday 20 October 2011

आंखिर क्यों बदला बदला सा आज का इन्सान है ?


बचपन  है क्यू सहमा  सहमा ? 
क्यू ममता घबराई  है ?

बहाना के हंसी को  क्या  हो गई  है ?
वो किलकारी  कहाँ  खो  गई  है ?

क्यों हो गया है आँगन सुना ?
गलियां  क्यों  वीरान हुई ?

आतंकित है क्यों गाँव गाँव ?
इनसान  है क्यों खौफ  खाया   ?

वही धरती, वही माटी ,
वही सूरज ,वही चाँद है !

आंखिर क्यों बदला बदला सा  
आज  का   इन्सान  है ?

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