हमने उनपे सब छोड़ा है
जो करना है वो खुदा करे !
बचपन की उखड़ती सांसे है ,
ममता की बेबस आँखें है,
वो फिर भी महलें बनायेंगे ;
कोई मरता है ,तो मारा करे !
यहाँ खून से आणता सन्ति है ,
तब जाकर रोटी बनती है ,
हर दाने पर पहरे बैठें हैं ;
जिंगें भूख लगे वो दुवा कर !
जब जुल्म की आंधी चलती है ;
इंसाफ कुचल दी जाती है ,
यहाँ न्याय गवाही मांगेगी ;
अन्याय बहले ही हुआ करे !
यहाँ सच्ची हमेशा हरता है
और झूठ ही बजी मरता है
प्रसाद " मगर सच बोलेगा ;
कोई सुने या अनसुना करे !
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