हम भूल गए सारी दुनिया , वो साम नहीं भूले !
खुद को भुला दिया मगर . तेरा नाम नहीं भूले !
तेरी जुल्फों के साये में गुजरे वो चाँद लम्हें ;
और होठों से छलकती वो जाम नहीं भूले !
वो रोतों की ख़ामोशी और चुपके से तेरा आना ;
वो गलियां , वो रस्ते , वो मुकाम नहीं भूले !
एक भूल ही सही , कभी प्यार किया था हमने ;
उस नाकाम मुहब्बत का अंजाम नहीं भूले !
वो टूट कर दिल का सरेआम बिखर जाना ;
और खुद पर लगा हर इलज़ाम नहीं भूले.,
वो घुघट की ओत में दुबक कर सिसकना ;
और नज़रों का आंखरी सलाम नहीं भूले !
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